हलकी बारिश की बूंदे
मदहोश सा मौसम
घने काले बादल
जैसे किसी गहरी सोच में
सब कुछ जैसे रुक सा गया है
पर मेरा चंचल मन
फुदक फुदक कर
मुझसे यह पूछ रहा है
यह बेपनाह ख़ुशी
बिना किसी वजह
क्या है ये
ऐसा पहले तो न था
हर छोटी ख़ुशी इतना तो नहीं हसाती थी
दिल इतना भी बच्चा तो न था
प्यार तो पहले भी किया था
इस एहसास से अनजान तो नहीं था
कोई समझाओ मुझे
कोई सुलझाओ इससे
बहुत बढ़िया